Kilash-Durga
सुना है माँ तूं चिठ्ठीयाँ लिखती हे ,पर वो क्या करे जिसके लिए तेरा कौई बुलावा नही....मजबुर होकर वो खुद चिठ्ठी लिखता है॥
पंछीया वे जा..माता दे द्वार
मेरी पुकार जा के देव्यी तू सुना
जा उडजा उडजा उड उडजा....
आक्खीं ज़रा सर नू झुका .. बैठा तेरी -राह कोइ नयन बिच्छा
राज्जिक है जे ते...रज्जा बन के आ
मेरी मुश्किल च मुश्किल..कुशा बन के आ
सहारा दे अपना.. परेशान हाँ मै
आ ..सुन के मेरी सदा ..आ ....
जा उडजा उडजा उड उडजा....
पर्र ना मैरे..पल्ले जर न मैरे
आवाँ किवें दाती मैं तेरी जगहाँ
मैं हाँ कित्ते.....तेरा दर हे कित्ते
मैरा सज्जदा ते तेरी नजर है कित्ते
मैं हाँ कित्ते.....तेरा दर हे कित्ते....मैरा सज्जदा कित्ते....ते तेरी नजर है कित्ते
मैं कित्ते.....दर कित्ते.....सज्जदा कित्ते...............नजर कित्ते
मैं ......कित्ते....दर... कित्ते...सज्जदा... कित्ते...नजर.... कित्ते.
मैं ......कित्ते....दर... कित्ते...सज्जदा... कित्ते...नजर.... कित्ते..........माँ
तढपदा हे दिल तेनू ...बुलावण अखियाँ
आँसुआँ दा दरय्या.........बहा
जा.. उडजा पंछीया जा.. उडजा पंछीया.....
मेरा ऐ मन्न ...हो के मगन
जोय्ती लगन दी बेठा जगा
जलवे दिखादे किसी नूर दे
चमक्देय सितारे कित्ते दूर दे
ऐ आवाज़ सुन ..."नाज़-बेकल" दी मैया
मेरी आवाज़ सुन ....आवाज़ सुन ... मेरी आवाज़ सुन
मुकद्दर दी सख्ती मिटा ...
जा.. उडजा पंछीया जा.. उडजा पंछीया.....
सय्याही ले कर आँखौ की ये चिठ्ठी तुम को लिखता हुँ ,के जब-जब तुम इसे देखो मेरी आँखे तुम्हे देंखे
कागा सब तन खाइयो मैरा चुन-चुन खाइयो माँस
पर ये दौ नयनाँ मत खाइयो.. मोहे मैय्या मिलन दी आँस
जा.. उडजा पंछीया जा.. उडजा पंछीया.....
तेनू चुरीयाँ खवावाँ...तेरे तरले मैं पावाँ
मेरा सुण्णया पहुँचा दे तेनू देयाँ मै दुवावाँ
जा.. उडजा पंछीया जा.. उडजा पणछीया
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