Friday, October 8, 2010

KAUN JANDA



पर्र तू देती है,परवाज तू देती हैं उढने की शक्ति भी तू देती है अपना मान-अपमान,यश-अपयश,इज्जत-बेइज्जती,सुख-दुख जब सब उसे सौंप दिया फिर मैं क्या मेरी हस्ती क्या, हम तो कठपुतलीयाँ है,डौर तेरे हाथ हे...जगदम्बे माँ तू जिस तरह चाहे नचाती जा हम नाचते जायेंगे

jai mata di...

तेरे परँ नाल उड जाँदे माँ
तेरे परँ नाल उड जाँदे माँ
नी नहीते सानू कौन जाणदा ,कौन जाणदा ,कौन जाणदा
तेरे परँ नाल उड जाँदे माँ ......

उंगली जै फढी मेरी रस्ते मेनू मिल गये
बंजर जमीन विच्च फूल दाती खिल गये
जद दी तु मेरी ते मै दाती तेरा हो गया
दुनीया दा हर सुख दाती मेरा हो गया
तुस्सी फढ लय्यी डिग्गदे दी बाँ
हो, नहीते सानू कौन जाणदा,कौन जाणदा ,कौन जाणदा
तेरे परँ नाल उड जाँदे माँ....

होके मैं दीवाना तेरी महिमा जे गान्दा ना
मैंवि ते बेनाम होन्दा नाम कित्ये पान्दा ना
माँ-माँ कह के जद वि पुकारया
तुस्सी वि माँ बेटा* कह के मेनू हे दुलारया (या बेटी)
तुसाँ दित्ती मेनू चरणा विच्च थाँ
हो, नहीते सानू कौन जाणदा,कौन जाणदा ,कौन जाणदा
तेरे परँ नाल उड जाँदे माँ ..

नैना विच बसाया जद तेनू मेहराँवाली माँ
अँख दा तु तारा जाणे मेनू शेरांवाली माँ
प्यार तेनू कर प्यार सबणा तो पा लया
हो तेनू अपनाया जग मेनू अपना लया
तुसाँ कदी वि कित्ती मेनू ना
हो, नहीते सानू कौन जाणदा,कौन जाणदा ,कौन जाणदा
तेरे परँ नाल उड जाँदे माँ ......









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