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पत्त राखो गोरी के लाल हम तेरी श्ररण आये...
श्ररण आये....... तेरी श्ररण आये
पत्त राखो गोरी के लाल हम तेरी श्ररण आये...
प्रथम्य तुम्हें ध्याऊ फेर सजाऊ विशेषा
पुजा करैः तुम्हारी हे देवन के देवा
शीस झुकाऊ तुझे मनाऊ
मैं तिलक लगाऊ लाल हम तेरी श्ररण आये
पत्त राखो गोरी के लाल हम तेरी श्ररण आये...
गणपत्ति पिता तुम्हारे शिव शंकर कैलाशी
रिद्दी-सिद्दी के स्वामी दम्मोदर अविनाशी
मंगल करलौ कन्ठ मैं भरलो
मेरे सुन्दर सुर और ताल हम तेरी श्ररण आये
पत्त राखो गोरी के लाल हम तेरी श्ररण आये...
संकठ हर लौ मेरे हे दुख हरने वाले
झौली भर दो सबकी झौली भरने वाले
जौश तुम्हारे आया द्वारे
लेकर फुलौः की थाल हम तेरी श्ररण आये
पत्त राखो गोरी के लाल हम तेरी श्ररण आये...
श्ररण आये....... तेरी श्ररण आये
पत्त राखो गोरी के लाल हम तेरी श्ररण आये...
प्रथम्य तुम्हें ध्याऊ फेर सजाऊ विशेषा
पुजा करैः तुम्हारी हे देवन के देवा
शीस झुकाऊ तुझे मनाऊ
मैं तिलक लगाऊ लाल हम तेरी श्ररण आये
पत्त राखो गोरी के लाल हम तेरी श्ररण आये...
गणपत्ति पिता तुम्हारे शिव शंकर कैलाशी
रिद्दी-सिद्दी के स्वामी दम्मोदर अविनाशी
मंगल करलौ कन्ठ मैं भरलो
मेरे सुन्दर सुर और ताल हम तेरी श्ररण आये
पत्त राखो गोरी के लाल हम तेरी श्ररण आये...
संकठ हर लौ मेरे हे दुख हरने वाले
झौली भर दो सबकी झौली भरने वाले
जौश तुम्हारे आया द्वारे
लेकर फुलौः की थाल हम तेरी श्ररण आये
पत्त राखो गोरी के लाल हम तेरी श्ररण आये...
jai jai jai maa
ReplyDeletejai mata di
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