Sunday, September 12, 2010

मात मेरी पीन्गाँ झुटे



हाँ मात मेरी पीन्गाँ झुटे
हो झुटे सखीयाँ नाल मात मेरी पीन्गाँ झुटे हाँ मात मेरी पीन्गाँ झुटे

औ सावन दी रूत्त आयी सुहानी भवन ते बदलीयाँ छायीयाँ
चिन्तपुरणी मात मेरी ने सब नू चिठ्ठीयाँ पायीयाँ
धार के कंजकाँ रूप देवीयाँ उतर पहाढौ आयीयाँ
मात मेरी पीन्गाँ झुटे हो झुटे सखीयाँ नाल मात मेरी पीन्गाँ झुटे

होओ बौढा उतै पीन्गाँ पायीयाँ दाती बौढाँ वाली
होओ बुटे-बुटे झुटे लेन्दीयाँ कोई पीन्ग नही खाली
मस्त पवनीया प्यी झुलावे पीन्ग बनी हर डाली
मात मेरी पीन्गाँ झुटे हो झुटे सखीयाँ नाल मात मेरी पीन्गाँ झुटे

लम्बे उच्चे झुट्टे-झुट्टण चढके पवन हुलारे
होओ सुरज बदलाँ विच लुक-के देखे खेल न्यारै
चन्न झरौखे विच्चौ झाँके माँ दी नजर उतारै
मात मेरी पीन्गाँ झुटे हो झुटे सखीयाँ नाल मात मेरी पीन्गाँ झुटे

वर्षा रूत विच्च बद्दल बनके मय्या सुख बरसाये
मेहराँ दे छिट्टे दे सबनू दिल दी प्यास बुझाये
हरल्य जौश दिलाँ दी चिन्ता सबदे कष्ट मिटाये
मात मेरी पीन्गाँ झुटे हो झुटे सखीयाँ नाल मात मेरी पीन्गाँ झुटे

चिन्तपुरणी मात, मात मेरी पीन्गाँ झुटे..हाँ-हाँ मात मेरी पीन्गाँ झुटे
हो झुटे काँगढेवाली मात मेरी पीन्गाँ झुटे..हाँ-हाँ मात मेरी पीन्गाँ झुटे
झुटे ज्वालाराणी मात मेरी पीन्गाँ झुटे..हाँ-हाँ मात मेरी पीन्गाँ झुटे
झुटे नैनादेवी मात मेरी पीन्गाँ झुटे..हाँ-हाँ मात मेरी पीन्गाँ झुटे
झुटे चामुन्डामाता मात मेरी पीन्गाँ झुटे..हाँ-हाँ मात मेरी पीन्गाँ झुटे
हो झुटे कालकराणी मात मेरी पीन्गाँ झुटे..हाँ-हाँ मात मेरी पीन्गाँ झुटे
झुटे वैश्णोमाता मात मेरी पीन्गाँ झुटे॥हाँ-हाँ मात मेरी पीन्गाँ झुटेहाँ











1 comment: