Tuesday, September 21, 2010

माँ मेरा दिल रज्जयाई नही





माँ मेरा दिल रज्जयाई नही
रज्जयाई नही मेरा दिल रज्जयाई नही
मै आवाँ तेरे दरबार करण-लई माँ तेरा दीदार
मेरा दिल रज्जयाई नही माँ मेरा दिल रज्जयाई नही ..हो

मेनू फेरर् बुला इक वार
मै मल्लके बेठा तेरे द्वार
माँ मेरा दिल रज्जयाई नही माँ मेरा दिल रज्जयाई नही ..हो

में तक्दा रवाँ दिन-राती
मुँहौ कुज्ज ना कवाँ
माँ जीवन दे दिन चार मैं दर ते देणे मात् गुजार
माँ मेरा दिल रज्जयाई नही माँ मेरा दिल रज्जयाई नही..हो

तेरे दर तो सौणा कोई वि दरबार नही
मेरी बिनती दाती क्यों तेनू स्वीकार नही
मेनू मार चाहे दुत्तकार मैं मन्दिरौ जाणा नहीयों बार्र
माँ मेरा दिल रज्जयाई नही माँ मेरा दिल रज्जयाई नही..हो

तू......हे माँ
तू सारे जग नू देखेः मेरे वल्ल तक्दी नही
फिर क्यों कहनी ऐ बच्चेयाँ बिना रह सक्दी नही
तू कहनी एयें..ए तू कहनी एयें...माँ-ये
ऐ तू कहनी एयें मैं बच्चेयाँ बिना रह सक्दी नही
माँ जग तेरा परिवार फेरर् क्यों दित्ता मेनू विसार
माँ मेरा दिल रज्जयाई नही माँ मेरा दिल रज्जयाई नही..हो

तू गुफा दे औले बैठ तमाशा देखी जा
ऐ लौकी मेरे ते हसदे.. हाँसा देखी जा
चंचल वल्ल च्हाती मार बच्चेयाँ वल्ल च्हाती मार
भवानी तरले करें हजार
माँ मेरा दिल रज्जयाई नही माँ मेरा दिल रज्जयाई नही..हो





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